जयपुर। सरकार के आमेर में हाथी की सवारी की दर को कम करने के आदेश को हाथी गांव विकास समिति ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी व कहा था कि दरें कम करने से पहले उनक बात ही नहीं सुनी गई। हाथी सवारी की दर करीब 10 साल बाद बढ़ाई गई थी। लेकिन मनमाने तरीके से दस साल के बीच में ही अचानकदर को कम कर दिया। इसकी सुनवाई करने के बाद हाई कोर्ट ने आमेर फोर्ट और आसपास के इलाके में हाथी सवारी की दरें कम करने के सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है। जस्टिस महेन्द्र गोयल की कोर्ट ने दर कम करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार हाथी मालिकों का पक्ष सुनकर ही नई दरें तय करें। आपको बता दें कि हाथी गांव विकास समिति व अन्य स्टैक होल्डर्स की मांग पर पर्यटन विभाग और पुरात्व विभाग ने सर्वसम्मति से निर्णय करते हुए 26 जून को हाथी सवारी की दर 2500 रुपए प्रति ट्रिप तय की थी। नई दरें 1 अक्टूबर से लागू हो गईं मगर अचानक पर्यटन विभाग के आयुक्त, पुरात्व विभाग के निदेशक व अन्य अधिकारियों ने बैठक में एक पक्षीय फैसला ले लिया व 8 नवम्बर को दर 2500 रुपए से घटाकर 1500 रुपए कर दी। किसी भी हाथी मालिक का पक्ष नहीं सुना गया। अब कोर्ट के आदेशानुसार अब आमेर में प्रति हाथी सवारी 2500 रुपए देने होंगे।
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