—रिपोर्ट जतिन माली—–
24 न्यूज अपडेट.उदयपुर। रक्षाबंधन पर जिंदगी की जंग हार गया देवराज आज दुनिया से विदा हुआ तो हर किसी की आंखें नम हो गई। मन में आक्रोष लिए लोगों ने देवराज अमर रहे….., …..जब तक सूरज-चांद रहेगा, देवराज तेरा नाम रहेगा….और हत्यारों को फांसी दो के नारे लगाए। कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच सैंकड़ों लोगों की मौजूदगी में सुबह सवा 8 बजे देवराज का अशोकनगर मौक्षधाम पर अंतिम संस्कार किया गया। देवराज के घर पर सुबह साढ़े चार बजे जब एमबी अस्पताल से शव पहुंचा तो परिजनों की चीख निकल पड़ी। रो-रोकर बुरा हाल हो गया। बड़ी संख्या में मौजूद राजनेताओं, हिंदू संगठन के लोगों व मोहल्लावासियों ने ढांढस बंधाया व दिल पर पत्थर रख कर अंतिम लोकाचार किए। उसके बाद जब अर्थी उठने की बारी आई तो मां और बहन का धैर्य जवाब दे गया। बदहवास सी होकर मां ने देवराज के पैर पकड़ लिए और कहा कि मेरे जिगर के टुकडे़ को मुझसे कोई अलग नहीं कर सकता। बहुत कोशिशों के बाद जब मां का हाथ छूटा तो अर्थी अंतिम यात्रा की तरफ बढ़ चली। खेरादीवाड़ा से सूरजपोल, बापू बाजार, देहलीगेट, शास्त्री सर्कल होते हुए अशोकनगर मौक्षधाम पहुंची। रास्तेभर लोगांं ने श्रद्धांजलि अर्पित की और जयश्रीराम के नारे लगाए। अंतिम यात्रा में डेढ़ से दो हजार लोग शामिल हुए जिसमें विभिन्न दलों के राजनेता, समाजसेवी और संगठनों से जुड़े लोग शामिल थे। उदयपुर रेंज आईजी अजयपाल लांबा ने आगे चल रहे पुलिस दल को लीड किया। अशोकनगर मौक्षधाम पर कड़ी सुरक्षा के बीच देवराज को उसके पिता व चचेरे भाई ने मुखाग्नि दी। ड्रोन से पूरे अंतिम संस्कार की निगरानी की गई। अंतिम यात्रा के पूरे मार्ग पर पुलिस का जबर्दस्त पहरा रहा। यहां तक कि खेरादीवाड़ा में देवराज के घर के आस-पास के छतों और रास्ते में पड़ने वाले उंचे मकानों को भी पुलिस के पहरे में कवर किया गया। हर गली, हर मोड़ पर बड़ी संख्या में पुलिस बल पूरी तरह से चाक-चौबंद रहा। मौक्षधाम में भी प्रशासन की ओर से सभी तैयारियां कल रात को ही पूरी कर ली गई थी। पार्थिव देह को श्रीराम जय राम के मंत्रजाप के बाद अंतिम विदाई दी गई।
यहां पर आक्रोषित लोगों ने कहा कि देवराज हंसता-खेलता बच्चा था, वह पूरे मोहल्ले की जान था। परिजनों ने कहा कि हत्यारे और उसके माता-पिता को भी सजा मिलनी चाहिए। हत्यारे को नाबालिग नहीं मान कर बालिग मानना चाहिए। बच्चे के ताउजी ने कहा कि हमको न्याय चाहिए, हम अपील करते हैं कि कोई भी वकील उनका केस नहीं लड़े। पिता बोले कि मेरे बच्चे को न्याय चाहिए। उधर, आज पूरे शहर में नेटबंदी है और स्कूल-कॉलेज एहतियातन बंद है। समाज के नेताओं ने सभी से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की है।
आपको बता दें कि उदयपुर के सरकारी स्कूल में दसवीं के 15 वर्षीय छात्र देवराज मोची को सहपाठी ने चाकू मार दिया था। इसके बाद बवाल मच गया था। बच्चे ने अस्पताल में चार दिन बाद कल शाम को दम तोड़ दिया। आज सुबह उसका गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया गया। इससे पहले रात को खासी गहमागहमी रही। 51 लाख रूपए का मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को संविदा पर नौकरी, सरकारी नौकरी के लिए प्रयास, परिवार को सुरक्षा देने, केस फास्ट ट्रेक कोर्ट में चलाने और एससी/एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई करने की मांग पर सहमति बनी। जिला प्रशासन रात को ही अंतिम संस्कार करवाना चाहता था मगर हिंदू संगठनों के लोगों ने व समाज के अध्यक्ष ने असहमति जता दी। प्रशासन ने अशोकनगर शमशान पर पहले से तैयारियां भी कर ली थी जो सुबह तक के लिए टाल दी गई। इसके बाद सुबह अंतिम संस्कार का समय तय हुआ। सुबह करीब साढ़े चार बजे जिला प्रशासन ने देवराज के शव को परिजनों को सौंपा।एमबी हॉस्पिटल की मार्चरी से जैसे ही खैरादीवाड़ा स्थित घर पर देवराज की पार्थिव देह पहुंची सबकी रूलाई फूट पडी। बहुत ही मुश्किल से पार्थिव देह को अंतिम यात्रा पर रवाना किया गया। चप्पे चप्पे पर पुलिस नाकाबंदी के बीच मौक्षरथ गुजरा जिसमें आगे-आगे शहर के नेता चल रहे थे। आपको बता दें कि शहर में धारा 163 (पुराने कानून की धारा 144) लागू है और नेटबंदी भी जारी है।
आपको बता दें कि 16 अगस्त को सुबह 10.30 देवराज को स्कूल के सहपाठी ने चाकू मारकर घायल कर दिया था। लगभग एक घंटे बाद देवराज को एमबी अस्पताल पहुंचाया, तब तक बहुत खून बह चुका था, धड़कनें बंद हो चुकी थी। डाक्टरों ने कड़ी मेहनत के बाद उसकी सांसों वापस लौटाईं व ऑपरेशन किया। मामला दो धर्मों से जुड़ा होने पर बड़ी संख्या में हिंदू संगठनों सहित विभिन्न संगठनों के लोग एमबी में जमा हो गए। इसके बाद पुलिस ने देवराज को चाकू मारने वाले छात्र व उसके पिता को पकड़ लिया। दोपहर बाद बाजार हो गए व कुछ अराजक तत्वों व समाजकंटकों ने मिल कर शहर में तोड़-फोड़, पत्थरबाजी और आगजनी कर दी जो अब तक पुलिस की पहुंच से बाहर है। कुछ लोगों ने धार्मिक स्थलो ंपर पत्थर भी फेंके। बताया जा रहा है कि ये लोग चिन्हित कर दिए गए हैं मगर फरार हैं। विभिन्न हिंदू संगठनों की ओर से आरोपी की गिरफ्तारी, सख्त कार्रवाई के साथ ही आरोपी छात्र के घर को गिराने की मांग की जो अगले ही दिन पूरी कर ली गई। घर गिराया गया मगर प्रशासन ने किराए का घर गिरा दिया जहां पर आरोपी छात्र व परिजन किराए पर रह रहे थे। वन विभाग को अचानक याद आ गया कि यह तो उसकी जमीन पर बना अवैध मकान था। बहरहाल, आक्रोष शांत करने के लिए की गई यह कार्रवाई भी आलोचनाक शिकार बन गई। अधिकतर शहरवासियों का मानना है कि घर गिराना गलत था। इसके बाद रात को उदयपुर प्रशासन ने नेटबंदी कर दी जो चार दिन से जारी है। इस पर लोग अब जिला प्रशासन को कोस रहे हैं व प्रशासन की नाकामी बता रहे हैं। घायल देवराज के पिता कुवैत में नौकरी करते हैं वे सूचना मिलते ही दूसरे ही दिन कुवैत से उदयपुर आ गए। सरकार ने देवराज की गंभीर हालत को देखते हुए उसके उपचार के लिए चार्टर्ड विमान से जयपुर और कोटा से चिकित्सक बुलाए मगर देवराज की हालत में सुधार नहीं हो सका। सैंकड़ों लोग हॉस्पिटल में तीन दिन तक प्रार्थना करते रहे मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था। आखिरकार कल जब देवराज की बहन ने आईसीयू में जाकर उसे राखी बांधी और लंबी उम्र की कामना की उसके कुछ ही पलों बाद भाई दुनिया से विदा हो गया।
अस्पताल प्रबंधन बोला – घायल को छात्र ही लेकर आए
आरएनटी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विपिन माथुर ने बताया कि सुबह करीब 11 से 11.15 बजे दो छात्र ही देवराज को लेकर अस्पताल पहुंचे थे। तब तक उसका काफी खून बह चुका था। बीपी, पल्स व हार्ट काम नहीं कर रहे थे। तुरंत ही उसे आइसीयू में शिफ्ट कर करीब 40-45 मिनट तक सीपीआर दिया गया। डीसी शॉक लगाने पर उसका हार्ट चालू हुआ। उसके बाद अस्पताल स्टाफ ने सेतु सिस्टम से तुरंत सीटीवीएस सर्जन को कॉल किया। वे महज पांच मिनट में वहां पहुंच गए। जांच करने पर पता चला कि पायल की फिमोरल आर्टरी कट गई। उसी समय चिकित्सकों ने पांव से वैन ग्रास लगाकर आईसीयू में शिफ्ट किया। उसके बाद मुख्यमंत्री ने तुरंत ही जयपुर से चार्टर विमान से तीन विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम को उदयपुर भेजा। उन्होंने आरएनटी की टीम से समन्वय कर उपचार में मदद की। दो दिन तक देवराज की हालत में सुधार हुआ, लेकिन तीसरे व चौथे दिन लगातार गिरावट आती गई। ब्लड प्रेशर को मेंटेन करने के लिए डबल डोज दिया गया। कोटा से भी एक चिकित्सक ने यहां पहुंचकर उपचार किया, लेकिन अथक प्रयास के बावजूद वह बच नहीं पाया। पुलिस ने भी अनुसंधान करते हुए देवराज को अस्पताल ले जाने वाले सहपाठियों, स्कूल टीचर से लेकर अस्पताल में कई लोगों के बयान लिए। उनकी भी प्रारंभिक जांच में देवराज को सहपाठियों द्वारा ही अस्पताल ले जाने की पुष्टि हुई।
सहपाठी बोले- हम ले गए अस्पताल,
घटना के बाद साथी छात्रों ने बयानों में कहा कि वे घायल देवराज को अस्पताल लेकर गए थे। साथी छात्रों का कहना है कि कक्षा में दोनों के बीच गाली गलौज के साथ ही झगड़ा हुआ था। आरोपी छात्र ने देवराज के सिर में कुर्सी से वार किया। उसके बाद टीचर के क्लास में आने से मामला शांत हो गया, लेकिन इंटरवेल के बाद दोनों स्कूल के बाहर फिर झगड़ पड़े। आरोपी ने देवराज पर चाकू से वार कर दिया। उनका कहना था कि जब वे बाहर निकले तो देवराज नीचे गिरा हुआ तथा खून से लथपथ था। उसे कोई नहीं उठा रहा था। उन्होंने अंदर जाकर प्रिंसिपल को बताया और उनकी स्कूटी की चाबी ली। उसके बाद छात्र ने अपनी शर्ट खोलकर देवराज के घाव वाली जगह पर बांधा और उसे अस्पताल ले गए। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि ये छात्र आरएमवी रोड पर सत्यनारायाण मंदिर के बाहर गिरे और वहां भी काफी खून जमीन पर गिरा। उसके बाद छात्र वापस देवराज को उठाकर अस्पताल ले गए। सहपाठियों का कहना है कि अस्पताल पहुंचते ही प्रिंसीपल वा अन्य टीचर भी आ गए।
प्रिंसिपल को नोटिस
जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक महेंद्र जैन ने प्रिंसिपल को नोटिस दिया है और मामले की विस्तृत जांच के लिए कमेटी गठित की गई है। उन्होंने कहा कि लेकिन अवकाश होने से जांच अब तक शुरू नहीं हो पाई। माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने मामले की जांच विस्तृत रूप से करने के आदेश दिए थे। ऐसे में प्रधानाधार्य शिक्षकों के अलावा विद्यार्थियों, अभिभावकों के बयान भी जरूरी है। यदि अवकाश नहीं होता तो जांच तत्काल शुरू कर दी जाती।

