24 न्यूज अपडेट उदयपुर। शहर में किसी हॉस्पिटल के खिलाफ पहली बार ऐसे प्रदर्शन लगातार हो रहे हैं। पहली बार अलग-अलग संगठनों के लोग लगातार ज्ञापन देकर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। पहली बार प्रशासन कार्रवाई को मजबूर हो गया है। जिन गोयल साहब के दबाव के कारण प्रशासन वकीलों के दिए हुए ज्ञापन पर दो महीने से कुंडली मार कर बैठ गया था और समझ रहा था कि मामले को चलताउ अंदाज में निपटा देंगे, उस पर पहली बार उसे मन मार कर एक्शन लेना पड़ गया है। यह भी पहली बार हुआ है कि अधिवक्ताओं के दबाव के चलते तुरंत टीम मैग्नस अस्पताल पहुंचा जाती है और तुरंत ही जांच कमेटी बनती है और अगले ही दिन जांच भी शुरू हो जाती है। पहली बार किसी संगठन ने आईएमए पदाधिकारी सहित अस्पताल संचालकों का पुतला फूंका है और पहली बार हुआ है कि ऐसे किसी मामले में प्रदर्शन के बाद विधायक खुद ज्ञापन देने दल-बल के साथ पहुंचे हैं।
मामला मैग्नस अस्पताल की लापरवाही का है जिससे वकील साहब योगेश जोशी के बच्चे की आंखें चली गई। यही नहीं उससे भी बड़ा आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने अपनी लापरवाही को छिपाने के लिए डिस्चार्ज रिपोर्ट ही बदल दी। मगर पकड़े गए क्योंकि वकील साहब के पास पहली रिपोर्ट की फोटो कॉपी है। अधिवक्ताओं, सामाजिक संगठनों, पार्षदों, कॉलेज स्टूडेंट, छात्रसंघ से जुड़े प्रतिनिधियों सहित कई पीड़ितों ने आज कलक्ट्रेट पर जंगी प्रदर्शन किया, जोरदार नोरबाजी की। मैग्नस अस्पताल के डाक्टरों शिल्पा गोयल मनोज अग्रवाल के साथ ही आईएमए पदाधिकारी का चित्र लगा पुतला फूंका। नारों में मैग्नस अस्पताल को तत्काल बंद करवाने, जांच कमेटी की रिपोर्ट तुरंत देने तथा अस्पताल के खिलाफ दस्तावेजों में छेड़छाड़ पर 420 का मामला अलग से दर्ज करने की भी मांग की। प्रदर्शन करने वालों ने कहा कि यह दस्तावेजों की हेराफेरी का मामला अत्याधिक गंभीर है व जिला प्रशासन को दो महीने पहले ही इस पर एक्शन ले लेना चाहिए था। मगर गोयल साहब के दबाव में आकर दो महीने तक मामले की जांच तक नहीं की गई। कमेटी नहीं बनाई गई जो गंभीर लापरवाही की श्रेणी में आता है। क्या अधिकारी हर ज्ञापन के साथ ही ट्रीटमेंट करते हैं। अस्पताल प्रशासन का यह दबाव नहीं ंतो और क्या था। उन्होंने कहा कि जांच कमेटी भी तब बिठाई गई जब अधिवक्ताओं ने प्रदर्शन किया व अल्टीमेटम दिया। इससे साफ हो रहा है कि कहीं न कहीं कोई दबाव प्रशासन को खुलकर निष्पक्ष जांच नहीं करने दे रहा। लोगों ने आईएमए को भी आड़े हाथों लिया। इधर, जिला कलेक्टर को ज्ञापन देते समय विधायक ताराचंद जैन, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भरत जोशी, समाजसेवी भाजपा आपदा राहत विभाग राजस्थान के प्रदेश संयोजक जिनेन्द्र शास्त्री, भाजपा के महामंत्री गजपालसिंह राठौड़, पूर्व विवि अध्यक्ष मयूरध्वजसिंह, निखिलराजसिंह राठौड़ पूर्व बार एसोसिएशन अध्यक्ष रामकृपा शर्मा, पूर्व बार प्रेसिडेंट मनीष शर्मा, बार जनरल सेक्रेटरी राजेश शर्मा, सेक्रेटरी अक्षय शर्मा, फाइनेंस सेक्रेटरी पंकज तम्बोली, पूर्व बीएन प्रेसिडेंट राजदीपसिंह राणावत, पूर्व कॉमर्स कॉलेज प्रेसिडेंट रवि सुखवाल, मिलंद शर्मा, विप्र फाउंडेशन अध्यक्ष केके शर्मा, नरेंद्र पालीवाल सहित सभी बार सदस्य, साथी अधिवक्ता अजय आचार्य, धीरज माली, अधिवक्ता मनन शर्मा, फाइनेंस व बैंकिंग परिवार के सदस्य, सनातन एकता मंच के वैभव चास्टा, पूर्व उप महापौर महेंद्रसिंह शेखावत सहित कई सीनियर अधिवक्ता मौजूद थे। इधर, शहादत हुसैन सहित कुछ और पीड़ित आए थे। आपको याद दिला दें कि शहादत हुसैन के मामले में भी मैग्नस अस्पताल पर लापरवाही का आरोप है। उनके नवजात बेटे की आंतें चली गईं हैं व सवा महीने से बाल चिकत्सालय में गंभीर अवस्था में भर्ती है। जिला कलेक्टर ने प्रतिनिधिमंडल को कहा कि जांच कमेटी की रिपोर्ट शीध्र ही सार्वजनिक की जाएगी।
दबाव की राजनीति
इस मामले में यह भी सामने आया है कि अलग-अगल जरियों से पीड़ित वकील साहब के पास लगातार फोन आ रहे है जिसें कोई कंप्रोमाइज की बात कर रहा है तो कोई आर्थिक सशक्तीकरण की। इसके अलावा वकील साहब का साथ देने वाले हाई प्रोफाइल लोगों को भी चिन्हित करते हुए उनके पास भी कुछ प्रपोजल भिजवाए जा रहे है ताकि मामले को डाइल्यूट करके ठंडे बस्ते में डाला जा सके। इसके पीछे पूरा एक खास तरह का प्रभावशाली तंत्र सक्रिय है। इस तंत्र को अब तक यही लग रहा था कि मामला जांच से आगे नहीं बढ पाएगा लेकिन जन विरोध को देखते हुए इसके पसीने छूटने लगे हैं। वकील साहब योगेश जोशी का कहना है कि वे किसी भी दबाव के आगे झुकने वाले नहीं हैं। निष्पक्ष जांच करके रिपोर्ट तुरंत दी जानी चाहिए व दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए।
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