24 न्यूज़ अपडेट राजसमन्द। समाज और परिवार की अपेक्षाओं के बीच तनाव से जूझ रही युवा पीढ़ी को जीने की राह दिखाने के लिए वरिष्ठ आरएएस बृजमोहन बैरवा द्वारा लिखित पुस्तक “हौंसलों की उड़ान” पर पुस्तक परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन साकेत साहित्य संस्थान की ओर से सूचना केंद्र में हुआ।
महासचिव कमल अग्रवाल ने बताया कि कार्यक्रम में पुस्तक समीक्षा के साथ-साथ मानव जीवन में तनाव और उसके प्रबंधन पर विस्तार से साहित्यकारों ने चर्चा की। सभी ने अपने अनुभव साझा करने के साथ-साथ बताया कि किस तरह से यह पुस्तक मानव को तनाव से राहत देने में कारगर है।
पुस्तक के लेखक बैरवा ने कहा कि असफलता के बाद हो सकता है कि बड़ी सफलता आपका इंतजार कर रही हो, आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। कई बार माता पिता बच्चों पर अपनी महत्वाकांक्षाओं का अनावश्यक बोझ लाद देते हैं, और बच्चे उन अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए कई बार जंग हार जाने पर गलत कदम उठाते हैं, अभिभावकों को चाहिए कि वे ये समझें कि बच्चे क्या बनना चाहते हैं और उन्हें फिर वही बनने दें। युवाओं को भी चाहिए कि वे बुजुर्गों के साथ व्यक्त बिताऐं और उनके अनुभवों से सीख लेकर जीवन में आगे बढ़ें। बुजुर्ग हमारी अमूल्या धरोहर हैं, उनके पास अनुभवों से भंडार है, बुजुर्ग हमारी सबसे बड़ी संपत्ति है।
परिचर्चा में साहित्यकार कुसुम अग्रवाल ने कहा कि यह पुस्तक आसान भाषा में लिखी गई है ताकि सभी इसे पढ़ सकें, यह बिल्कुल बोझिल न होकर रुचिकर प्रतीत होती है, लेखक ने सटीक अंदाज में तनाव से निकलने के उपायों को बताया है, हर अध्याय के अंत में सुंदर दोहे लिखे हैं। उन्होंने इस पुस्तक पर समीक्षा के रूप में अपनी कविता भी प्रस्तुत की।
कमलेश जोशी ने कहा कि तनाव से जूझ रहे लोगों के लिए यह पुस्तक संजीवनी स्वरूप है, इसमें कई कहानियों के रूप में सरल उदाहरण हैं जो रुचिकर होने के साथ-साथ खुश रहने का मार्ग प्रशस्त करते हैं, यह पुस्तक युवा मन को उत्साहित करती है।
कमल अग्रवाल ने संस्थान द्वारा साहित्य के क्षेत्र में किए गए कार्यों का परिचय दिया। उपाध्यक्ष नारायण सिंह ने पुस्तक की समीक्षा करते हुए सुंदर कविता प्रस्तुत की। उन्होंने इस पुस्तक को हताशा और निराशा से राहत देने वाली बताया। राजकुमार दक ने कहा की युवा पीढ़े में पुस्तक पढ़ने की आदत कम हो रही है, अच्छी पुस्तकें तनाव से मुक्ति देती है, सोशल मीडिया को छोड़ पुस्तक की ओर से बढ़ना चाहिए। आभार राधेश्याम राणा ने व्यक्त किया। वीणा वैष्णव ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
समाज की अपेक्षाओं से घिरा हुआ है युवा:
सूचना केंद्र प्रभारी प्रवेश परदेशी ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी तेजी से बदलते परिवेश में मानसिक तनाव से जूझ रही है। विभिन्न वजहों से युवाओं में आत्ममूल्य की भावना प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई है। जब युवा समाज के मानकों और अपेक्षाओं से दबाव महसूस करते हैं, तो वे अक्सर असफलता या अस्वीकृति को सहन नहीं कर पाते और उनके मन में आत्महत्या जैसी गंभीर सोच उत्पन्न होती है। न सिर्फ युवा बल्कि हर वर्ग इससे प्रभावित है।
युवाओं के लिए यह मानसिक स्वास्थ्य की समस्या केवल व्यक्तिगत संकट नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता और खुले तौर पर चर्चा की आवश्यकता है, ताकि युवा आत्महत्याओं और अन्य आत्म विनाशकारी प्रवृत्तियों से बच सकें। उन्हें यह समझने की जरूरत है कि जीवन में उतार-चढ़ाव स्वाभाविक हैं, और चुनौतियों का सामना करना कोई शर्म की बात नहीं है। समाज को चाहिए कि वह युवाओं को सहायक और सकारात्मक माहौल प्रदान करे, ताकि वे तनाव से निपटने के उपाय सीख सकें और जीवन के हर संघर्ष से उबर सकें।
25 अध्यायों में हर तकलीफ को समेटती है पुस्तक:
उन्होंने कहा कि बैरवा ने अपने संग्रह “हौंसलों की उड़ान” के माध्यम से युवाओं के तनाव को दूर करने के दृष्टिकोण से बेहद रोचक कहानियाँ और उनके अंत में आसान दोहे प्रस्तुत किए हैं। इस पुस्तक का उद्देश्य युवा पीढ़ी को मानसिक तनाव, उसकी कारणों और समाधान से परिचित कराना है, ताकि वे जीवन के विभिन्न उतार-चढ़ावों का सामना सशक्त तरीके से कर सकें। इस संग्रह में कुल 25 अध्याय हैं, जो तनाव के विभिन्न पहलुओं को छूते हुए युवा मन को प्रोत्साहित करने का प्रयास करते हैं।
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