24 न्यूज अपडेट. जयपुर। केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर पशु उपचार के लिए निमेसुलाइड और इसके फॉर्मूलेशन पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। अधिसूचना के अनुसार निमेसुलाइड युक्त औषधि फॉर्मूलेशन के उपयोग से पशुओं को खतरा होने की संभावना है। इसलिए निमेसुलाइड के सभी फॉर्मूलेशन के निर्माण, बिक्री और वितरण को प्रतिबंधित करना सार्वजनिक हित में आवश्यक और समीचीन है। इन औषधियों के सुरक्षित विकल्प भी उपलब्ध हैं, अतः इसके स्थान पर अन्य विकल्पों का उपयोग किया जाना चाहिए।
पशु उपचार के लिए निमेसुलाइड पर प्रतिबंध: एक विस्तृत विश्लेषण
आपने जो पूछा है, वह एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है जो पशु कल्याण और पर्यावरण संरक्षण से सीधे जुड़ा हुआ है।
निमेसुलाइड पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया?
गिद्धों के लिए घातक: निमेसुलाइड नामक दवा गिद्धों के लिए अत्यंत विषैली होती है। इसका उपयोग पशुओं के उपचार में किया जाता था, लेकिन जब मृत पशुओं को निमेसुलाइड दी गई दवा खाने वाले गिद्ध खाते थे, तो उनकी मृत्यु हो जाती थी।
गिद्धों की घटती संख्या: गिद्ध प्रकृति के सफाईकर्मी होते हैं और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। निमेसुलाइड के कारण उनकी संख्या में भारी गिरावट आई थी, जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था।
डीटीएबीआई की सिफारिश: भारतीय औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबीआई) ने गिद्धों के संरक्षण के लिए निमेसुलाइड पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी।
सरकारी निर्णय: केंद्र सरकार ने डीटीएबीआई की सिफारिश को स्वीकार करते हुए निमेसुलाइड और इसके फॉर्मूलेशन पर पशुओं के उपचार के लिए प्रतिबंध लगा दिया।
पशु उपचार के लिए निमेसुलाइड और इसके फॉर्मूलेशन पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध

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