उदयपुर। पद्मश्री प्रेमजीत बारिया बुधवार को लेकसिटी के दौरे पर रहे। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के बुलावे पर लेकसिटी पहुंचे बारिया ने बागोर की हवेली और सूचना केन्द्र का दौरा किया और केन्द्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे कल्चरल एक्सचेंज कार्यक्रम पर विशिष्ट चचाएं की। बारिया ने कहा कि निष्छल और कोमल भावनाओं वाले बच्चों के माध्यम से संस्कृति के आदान-प्रदान का लक्ष्य बेहद आसान तरीके से हासिल हो सकता है।
बारिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशाओं के अनुरूप युवाओं और बच्चों के माध्यम से देशभर में कला व संस्कृति के आदान-प्रदान की मुहिम चल रही है। खुद बारिया ने अब तक दीव में ‘बाल भवनÓ के माध्यम से देशभर के कई बच्चों को दीव और दीव के बच्चों को देश के विभिन्न राज्यों की यात्रा कराते हुए संस्कृति व कला के आदान-प्रदान की उदात्त पहल की है। उन्होंने बताया कि दीव के बाल भवन में हिमाचल के बच्चें गुजराती डांडिया और पोर्चुगी डांस को खीखा हैं और हिमाचल के लोकनृत्यों को वहां के बच्चों को सीखाया है। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत हिमाचल के मण्डी में दो प्रशिक्षण कार्यक्रम, आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम में स्कूल ऑफ थियेटर नाद के साथ तथा कर्नाटक के सिमोगा जिले में प्रशिक्षण आयोजित हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 16 अप्रेल, 2023 को द्म श्री पुरस्कार से सम्मानित प्रेमजीत बारिया द्वारा प्रस्तुत दीव के प्रसिद्ध स्थलों की कलाकृतियों को साझा किया था। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर सहित दीव के पर्यटन, स्वास्थ्य सहित कई कमेटियों में मेंबर बारिया ने अपनी कला यात्रा के बारे में कहा कि दीव में बचपन में अपने आसपास कुदरत के सौंदर्य को देखकर कागज पर उतारना सीखा। वे 1971 में दीव से बाहर निकल कर अहमदाबाद में फाइन आर्ट प्रथम वर्ष के विद्यार्थी रहे। सब कुछ सेल्फ सीखा। स्केचिंग उनका पसंदीदा विषय रहा और कालांतर में उन्होंने दीव के समस्त प्रमुख मोन्यूमेंट्स के शिल्प-स्थापत्य पर काम किया जिसका पर्यटन विकास में बड़ा योगदान रहा। उनकी चित्रकला पर आपको पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित किया गया।
सरकार का प्रयास है कि हर जिले में बने बाल भवन
दीव के बाल भवन के डायरेक्टर के रूप में कार्य कर रहे बारिया ने कहा कि बाल भवन बच्चों की प्रतिभाओं को तराशने का सबसे बड़ा माध्यम है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में एकमात्र बाल भवन जयपुर में है। गुजरात के कई जिलों के साथ दीव, दमन और दादरा नगर हवेली में बाल भवन है। सरकार और हमारा प्रयास है कि हर जिले में बाल भवन हो ताकि बच्चों को कला से जोड़े और उनकी प्रतिभाओं को तराशें। उन्होंने बताया कि हमारे यहां बाल भवन में 6 से 18 वर्ष उम्र के बच्चे साल भर बच्चे अपनी पसंद की कला को सीखते हैं। बाल भवन में पेंटिंग, डांस, ड्रामा, एब्रोडरी, टेलरिंग कटिंग, कुकींग, कम्प्यूूटर, सहित अलग-अलग कलाओं को सीखते हैं।
बेहद सुंदर है उदयपुर, समृद्ध है सूचना केन्द्र
बारिया ने आज सुबह बागोर की हवेली और यहां के संग्रहालय का दौरा किया और यहां प्रदर्शित विषयवस्तु की सराहना की। इसी प्रकार शाम को सूचना केन्द्र पहुंचे बारिया ने जवाहर कला केंद्र की तर्ज पर विकसित किए जा रहे ओपन थियेटर, पुस्तकालय और वाचनालय का अवलोकन किया। संयुक्त निदेशक डॉ. कमलेश शर्मा ने केन्द्र द्वारा कला व कलाकारों के संरक्षण-संवधर्न के साथ युवाओं को संदर्भ सामग्री मुहैया करवाने की मुहिम के बारे में बताया। डॉ. शर्मा ने बताया कि यहां प्रदर्शनी के साथ, नाट्क, साहित्य सम्मलेन, सांस्कृतिक आयोजन के साथ विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। बारिया ने यहां किये गये उपयुक्त रखरखाव की सराहना की। कला के क्षेत्र में सहयोग देने के लिए आभार जताया।
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