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नगर निगम के विभागों के ‘‘कुंडलीमार मठाधीशों’’ ने आरटीआई का बना दिया मजाक, आयुक्त को जारी करना पड़ सख्त आदेश, अब सूचना रोकी तो होगी कार्रवाई, वसूला जाएगा दंड

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24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। उदयपुर नगर निगम में प्रशासनिक स्तर पर क्या पोपाबाई का राज चल रहा है? क्या मातहत कर्मचारी मठाधीश बनकर बैठे हैं और मानमानी करते हुए आयुक्त तक की बात नहीं सुन रहे हैं। क्या वे सूचना के अधिकार को उसके नियमों की अवहेलना लगातर करके निगम की छवि को खराब कर रहे हैं। वे किसके इशारे पर ऐसा कर रहे हैं, क्या कोई राजनीतिक वरदहस्त है? क्या किसी का इशारा है कि खास सूचनाओं पर कुंडली मार कर बैठ जाना है। फिर चाहे जितनी आरटीआई लगा लो, चाहे जहां तक अपीलें कर लो। अपीलों पर अपीलें हो रही हैं, जयपुर स्तर से नोटिस आ रहे हैं लेकिन ना तो सूचनाएं विभागीय स्तर पर आपस में शेयर की जा रही हैं, ना बताई जा रही हैं। ये सूचना शून्यता आखिर किसलिए है? यह बड़े सवाल वैसे तो उदयपुर नगर निगम में आरटीआई आवेदन करने वाला हर आमजन उठा रहा था। मामूली सूचनाओं के लिए भी अलग अलग विभाग के मठाधीश उससे जूतियां घिसवा कर खुश हो रहे थे लेकिन अब पानी लगता है सिर के उपर से जाता दिखाई दे रहा है। आज नगर निगम के आयुक्त की ओर से एक कार्यालय आदेश जारी करके सभी विभागों को स्पष्ट चेतावनी दे दी गई है कि आरटीआई की सूचनाएं बार बार रोकने से नगर निगम की छवि व कार्यशौली पर विपरीत असर हो रहा है।
यह लिखा आयुक्त ने कार्यालय आदेश में
प्रायः यह दृष्टिगत हुआ है कि वरिष्ठ नागरिक / आमजन द्वारा / आर.टी.आई./ अन्य प्रकार की सूचना हेतु निगम में आवेदन प्रस्तुत किये जाते हैं, परन्तु उन्हे नगर निगम, उदयपुर से समय पर सूचना नहीं दी जाती है जिससे उनके द्वारा आर.टी.आई. / के प्रकरण में सक्षम अधिकारी के यहा अपील प्रस्तुत की जाती है। व निगम के विरूद्ध जिला प्रशासन एवं उच्चाधिकारीयों शिकायत दर्ज करवाई जाती है। उक्त स्थिति से निगम की छवी पर प्रतिकूल प्रभाव जाता है एवं कार्यशैली पर विपरीत प्रभाव पड़ता हैं। अतः निगम में संचालित सभी अनुभाग प्रभारियों को निर्देशित किया जाता है कि जिला प्रशासन/आर.टी.आई आमजन अपीलों से प्राप्त प्रकरणों का त्वरीत गति से निर्धारित समयावधि में निस्तारण किया जाना सुनिश्चित करें। आप द्वारा आर.टी.आई प्रार्थना-पत्र का निस्तारण करने के पश्चात ऑनलाईन / ऑफलाईन आर.टी.आई. प्रार्थना-पत्र को आर.टी. आई शाखा को निस्तारण की सूचना नहीं दी जाती हैं जिससे यह कितनी आर.टी.आई का आप द्वारा प्रतयुत्तर दे दिया हैं। स्पष्ट नहीं हो पाता हैं।
प्रशासक महोदय द्वारा कार्य को गम्भीरता से लिया है अतः जिन प्रकरणों में प्रशासक महोदय / सूचना आयोग जयपुर में अपीलें हो चुकी हैं। उन प्रकरणों को तत्काल प्रतयुत्तर/जवाब/दस्तावेज तैयार कर तीन दिवस में आर.टी.आई. शाखा को उपलब्ध करावें। इस कार्य में शिथिलता पाये जाने पर सम्बन्धित अधिकारी / कार्मिक उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाकर आयुक्त महोदय को आपके विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही के लिये अवगत करा दिया जाएगा एवं सूचना आयोग द्वारा किसी भी दण्ड़ आरोपित किये जाते हैं तो जिसकी तमाम जिम्मेदारी संबंधित शाखा प्रभारी / कार्मिक आप स्वयं की होगी।
इनका कहना है
इस बारे में हमने जब वरिष्ठ आरटीआई एक्टिविस्ट व जर्नलिस्ट जयवंत भैरविया से बात की तो उन्होंने कहा कि लोक सूचना अधिकारी ने अब तक कभी भी नियमानुसार आरटीआई आवेदन पर 30 दिन में सूचना नहीं दी। प्रथम अपीलीय अधिकारी स्वयं महापौर गोविंदसिंह टांक थे, उन्होंने कभी भी हमारी फर्स्ट अपील की सुनवाई नहीं की। जब सूचना आयोग के सेकण्ड अपील के नोटिस आने लगे तब उनकी नींद उड़ी व जब तीन से चार महीने का कार्यकाल बचा था तब उन्होंने एक साथ 20 से 25 आरटीआई में सूचना देने के आदेश जारी किए। जबकि सेकण्ड अपील के बाद पहली अपील की सूचना देने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। मजे की बात ये है कि अधिकतर आवेदनों की सूचना आज तक नहीं दी गई है। पूर्व लोक सूचना अधिकारी नितेश भटनागर ने राजस्व विभाग से संबंधित सूचनाएं पूर्व में नहीं दीं। अब जब नोटिस आ रहे हैं तब हलचल बढ़ गई है व निगम की छवि अनावश्यक रूप से आमजन में खराब हो रही है। इसे तुरंत सुधारा जाना चाहिए।

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