24 न्यूज अपडेट. उदयपुर। यह बहुत ही गंभीर मामला है। जयपुर में भीषण हादसे के दिन से सवाल उठ रहे थे कि हाईवे अवैध रूप से खतरनाक कट आखिर किसकी शह पर बनाए गए हैं इन कटों से कई बार कई हादसे हो चुके थे लेकिन इनकी संख्या दिनों दिन अफसरों, हाईवे अथॉरिटी के भ्रष्ट कारिंदां और होटल व ढाबा मालिकों की मिलीभगत से बढते ही जा रहे थे। जिस दिन जयपुर के हादसे की खबर आई उसी दिन उदयपुर में जिला प्रशासन की ओर से बैठक करके कहा गया था कि अब कट बनाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, उन्हें चिन्हित किया जाएगा लेकिन कुछ ही दिन बाद फिर से खबर आई कि 50 कट को बंद कर दिया गया हैं अब बडा सवाल ये उठ रहा है कि ये कट जनता की सहूलियत के लिए उसकी सुरक्षा के लिए बंद किए गए हैं या फिर भ्रष्ट अफसरों व हाईवे के अधिकारियों आदि को कानूनी डंडे से बचाने के लिए किया गया है। माननीय हाईकोर्ट खुद जयपुर के मामले की सुनवाई कर रहा है व हर बात की मॉनिटरिंग करते हुए पूछ रहा है कि कट वैध हैं या अवैध। कहीं कोर्ट के डंडे से बचने के लिए तो अवैध कटों को तुरंत बंद नहीं कर दिया गया। जिनकी शह पर ये कट बनाए गए उनको क्या सजा मिली यह अब जनता पूछ रही है। अगर पनिशमेंट नहीं दिया तो यह नजरी बन जाएगी। पहले मिलीभगत करके भ्रष्टाचार कर लो व बाद में प्रशासनिक मिलीभगत से उसको बंद करते हुए उसका श्रेय भी ले लो कि हमने जनहित में यह काम किया है।
सबसे पहला सवाल यह उठ रहा है कि आखिर हाईवे अथारिटी अब तक क्या नींद में था जो अवैध 50 कट हाईवे पर बन गएं। हाईवे पर लोग टोल देकर चलते हैं इसलिए नहीं कि अवैध कट की वजह से वे हमेशा के लिए मौत की नींद सो जाए। इसलिए ताकि जल्दी व कानूनी रूप से तय की गई स्पीड से पहुंच सके। एक दो कट होते तो बात आई गई हो जाती लेकिन हाईवे पर 50 कट ओैर बताया जा रहा है कि चित्तौड व उसके आस पास तक तो 100 कट हो गए । वो हाईवे अथारिटी जो गांव वालों को रास्ता देने के लिए कट नहीं बनाने देता है व उसके लिए आंदोलन होते हैं उसके भ्रष्ट अफसरों के कारण 50 कट हो गए व उनको भी बिना जांच किए , बिना किसी को सजा दिए बंद कर दिया गया तो यह गंभीर मामला है। नाम नहीं छापने की शर्त पर जागरूक लोगों ने कहा कि वे पूरे मामले में मंत्री नितिन गडकरी को इसकी शिकायत करने जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि 20 दिसंबर को जयपुर में एलपीजी टैंकर ब्लास्ट कांड के बाद केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के निर्देश पर जिला प्रशासन और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण उदयपुर ने नेशनल हाइवे पर अनाधिकृत कट बंद करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। यदि निर्देश मिले भी हैं तो क्या यह भी निर्देश मिले हैं कि कट बनाने वालों पर कोई कार्रवाई ही ना हो?? नेशनल हाईवे की टीमें ने उदयपुर से चित्तौड़गढ़ नेशनल हाइवे पर 50 से अधिक अनाधिकृत कट बंद किए हैं। सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण उदयपुर के परियोजना निदेशक के निर्देशन में हाईवे पर अनाधिकृत बनाए कट बंद करने के लिए अभियान शुरू हुआ है। होटल, पेट्रोल पम्प एवं सर्विस रोड के आस-पास अनाधिकृत तरीके से बनाए गए कट बंद किए गए है।ं सवाल उठता है कि प्राधिकरण अब तक कहां था? क्या उसको भी किसी बडे हादसे का ही इंतजार था। अफसर आंख मूंद कर देख रहे थे या फिर भ्रष्टाचार करते हुए खुद के सरपरस्ती में हाईवे पर किसी ना किसी प्रशासनिक या राजनीतिक दबाव में आकर कट खुलवा रहे थे? इसकी जांच होनी चाहिए क्योंकि यह जनता की सुरक्षा से सीधे सीधी जुड़ा हुआ मामला है। अभी बताया जा रहा है कि 93.4 किलोमीटर क्षेत्र में करीब 50 अनाधिकृत कट बंद किए हैं। उदयपुर से डबोक, मंगलवाड़, भादसोड़ा होकर चित्तौड़गढ़ तक के रूट पर कट बंद किए हैं। उदयपुर जिला कलेक्टर को अब हाथोंहाथ इस मामले में जांच बिठानी चाहिए कि बंद किए गए कट किसने कब व क्यों किए थे। इन कट को वापस बंद करने में हुआ खर्च भी कट बंद करने वालों से ही वसूला जाना चाहिए, जनता ऐसे अवैध कामों का खर्चा क्यों उठाए??
ज्वलंत मुद्दा : हाईवे पर बंद किए 50 कट, जिनकी शह पर बने उनको सजा से बचा लिया!!! कट बनाने वालों से वसूलो खर्च, जनता क्यों उठाए अवैध कामों का खर्च??

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