24 न्यूज अपडेट. जयपुर। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के निर्देश पर राजस्थान में सिरेमिक मिनरल्स के विपुल भण्डार के खनन से प्रसंस्करण तक विश्वस्तरीय शोध, तकनीक, विश्वस्तरीय उत्पाद तैयार करने और प्रदेश के सिरेमिक मिनरल्स की राज्य में ही प्रोसेसिंग को बढ़ावा देकर सिरेमिक क्षेत्र में देश दुनिया में राजस्थान की पहचान बनाने के लिए राज्य सरकार ने पहल की है। खान सचिव श्रीमती आनन्दी ने बताया कि मुख्यमंत्रीं भजन लाल शर्मा के निर्देश पर प्रदेश में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सेरेमिक्स की स्थापना की जाएगी। प्रदेश में सिरेमिक मिनरल्स बाल क्ले, सिलिका सैंड, क्वार्ट्ज, चाइना क्ले, फेल्सपार इत्यादी बीकानेर, अजमेर, बाड़मेर, भीलवाडा, चित्तोडगढ, जयपुर, करौली, नागौर, पाली व राजसमन्द जिलों में विपुल भण्डार उपलब्ध है।
खान सचिव श्रीमती आनन्दी ने यह जानकारी देश व प्रदेश के सिरेमिक क्षेत्र में शोध, अध्ययन, खनन, प्रसंस्करण कर रहे विशेषज्ञों से एक्सीलेंस की स्थापना को लेकर आपसी अनुभवों व सुझावों को साझा करते हुए दी। सिरेमिक मिनरल्स का ग्लास, सिरेमिक्स, बिजली के काम आने वाले इंसूलेटर, टायलेट में काम आने वाले सेनेटरीवेयर उत्पाद, रियल एस्टेट में काम आने वाली टाइल्स, पॉट्री, ब्रिक्स, सेमी कण्डक्टर सहित विभिन्न उत्पादों को तैयार करने में सिलिका मिनरल्स की प्रमुख व प्रभावी भूमिका है। उन्होंने बताया कि पूरा कच्चा माल राजस्थान में उपलब्ध होने के बावजूद टाइल्स उद्योग मोरवी में फल-फूल रहा है। जयपुर वोन चाइना का बड़ा सेंटर है तो प्रदेश में जानी मानी कंपनियां ग्लास उत्पादन कार्य कर रही है। सिलिका में आयरन कंटेट को 100 पीपीएम या नीचे स्तर पर लाने की चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि इस तरह के शोध, विकास और विश्वस्तरीय तकनीक को अपनाने से ही संभव है। सिलिका में आयरन कंटेट 100 पीपीएम से नीचे के स्तर पर लाने की तकनीक के उपयोग से विश्वस्तरीय सिलिका उत्पाद खासतौर से ग्लास उत्पाद तैयार हो सकते हैं।
खान सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री भजन लाल शर्मा प्रदेश के सिलिका मिनरल्स के दोहन के साथ ही प्रसंस्करण को प्रदेश में ही बढ़ावा देना चाहते हैं ताकि प्रदेश में औद्योगिक निवेश, देश व प्रदेश की जरुरतों को पूरा करने के साथ ही विदेशों में निर्यात कर राजस्थान की पहचान बनाने, युवाओं को रोजगार व स्वरोजगार के अवसर के साथ ही राजस्व बढ़ोतरी हो सके। देश और प्रदेश में सिलिका मिनरल्स के प्रचुर भण्डार होने के बावजूद तकनीक के बदौलत सिरेमिक उद्योग पर चाइना की लगभग मोनोपाली है। निदेशक माइंस श्री भगवती प्रसाद कलाल ने बताया कि एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में 2 हजार मिलियन टन सिलिका मिनरल्स के डिपोजिट है जिसमें करीब 550 मिलियन टन क्ले, 572 मिलियन टन फेल्सपार, 740 मिलियन टन क्वार्टज सिलिका सैंड आदि शामिल है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सिरेमिक्स की स्थापना से प्रदेश में शोध व अध्ययन के साथ ही सिरेमिक उद्योग में नई व आधुनिकतम तकनीक का उपयोग हो सकेगा। चर्चा के दौरान अन्य के साथ ही सस्ती नेचुरल गैस की उपलब्धता पर बल दिया गया। विशेषज्ञों ने सेंटर में पीपीपी मॉडल व इस क्षेत्र में कार्य कर रहे उद्यमियों की भी सहभागिता तय करने का सुझाव दिया। उपस्थित विशेषज्ञों के साथ ही वर्चुअली हिस्सा लेते हुए जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया के निदेशक श्री संजय सिंह, डॉ. सुरेश कुमार, प्रोफेसर देवेश खण्डेलवाल सहित विभिन्न शैक्षणिक व इस क्षेत्र से जुड़े संस्थानों व विभाग के प्रतिनिधियों ने प्रतिभागिता की।
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